जमीयत उलमा-ए-हिंद ने नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू और चिराग पासवान द्वारा आयोजित इफ्तार, ईद मिलन और अन्य कार्यक्रमों का बहिष्कार करने का फैसला किया है. जमीयत का यह फैसला वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 से जुड़ा है. संगठन का मनना है कि इन नेताओं और दलों ने अभी तक इस बिल का विरोध नहीं किया है.
मोदी सरकार संसद के इस ही सत्र में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 को पेश कर सकती है. जमीयत और अन्य मुस्लिम संगठन इस बिल का विरोध कर रहे हैं. वह इसे मुसलमानों के धार्मिक मामलों में घुसपैठ बता रहे हैं.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू और चिराग पासवान केंद्र में बीजेपी के सहयोगी हैं. मुस्लिम संगठन इन दलों से इस बिल के विरोध की मांग कर रहे हैं.
सांकेतिक विरोध के रूप में, खुद को सेक्युलर कहने वाले नीतीश कुमार, नायडू और चिराग पासवान जैसे नेताओं की इफ्तार, ईद मिलन और अन्य आयोजनों में शामिल नहीं होगी जमीयत उलमा-ए-हिंद। ये लोग सत्ता के लिए मुसलमानों पर हो रहे अन्याय और अत्याचार पर चुप्पी साधे हुए हैं और देश के संविधान के…
— Arshad Madani (@ArshadMadani007) March 21, 2025
जमीयत के अध्यक्ष अरशद मदनी ने कहा कि जमीयत नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू और चिराग पासवान द्वारा आयोजित इफ्तार और ईद मिलन का बहिष्कार करेगा.
मदनी ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार, आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू और खाद्य प्रसंस्करण और उद्योग मंत्री चिराग पासवान पर मुसलमानों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों और अन्याय पर चुप रहने का आरोप लगाया.